सोमवार, 11 सितंबर 2023

बदलियां

 हवा भी चल रही बदलियों को गुमान है

भींगा देंगी अबकी यही तो अभियान है


बदलियां घिर रहीं, गरज रहीं, बरस रहीं

कितनी प्यासी हैं भिगाने को तरस रहीं

मन की बदलियों का मेघ को न ज्ञान है

भींगा देंगी अबकी यही तो अभियान है


घिरी बदलियां हों और छूती हुई सर्द हवा

मीठी सिहरन में हवाओं सा ना हमनवा

प्रवाह मंद जिंदगी का अभिनव तान है

भींगा देंगी अबकी यही तो अभियान है


भींगना मन के सावन का मनमौज है

बदलियों का इस कारण ही फौज है

हर एक चाहत का निज अभिज्ञान है

भींगा देंगी अबकी यही तो अभियान है।


धीरेन्द्र सिंह

12.09.2023

06.24


चहकती भावनाएं


चहकती भावनाएं अपेक्षाओं की अलगनी

खाली पल में अक्सर इनकी तनातनी

 

चहक को रिझाती अपेक्षा की भावना

अलगनी खूब झुलाती नमी भर कामना

नयन के खारेपन में कुछ सुनासुनी

खाली पल में अक्सर इनकी तनातनी

 

महक जाता हृदय क्या यह आवारगी

प्रणय से दूर समझें क्या बेचारगी

कोई यूं हृदय में बसी गुनगुनी

खाली पल में अक्सर इनकी तनातनी

 

हर द्वार पर कंपित हैं वंदनवार

एक पुकार में अदृश्यता है शुमार
संपूर्णता अपूर्णता मैं है ठनाठनी

खाली पल में अक्सर इनकी तनातनी।

 

धीरेन्द्र सिंह

11.09.2023

14.00