एक लड़की
हर सुबह
ले चाय का कप
बैठती है पत्थर पर
और बातें करती हैं
पत्तियों से, नारियल वृक्ष से
पूछती हालचाल
डाल की
प्रकृति के भाल की,
एक लड़की
अपनी वाड़ी
घने वृक्ष से कर सुसज्जित
करती है आतिथ्य
अपने गेस्ट हाउस में,
व्यक्तिगत रुचि
भोजन सुरुचि
आतिथ्य श्रेष्ठ
कौन इससे ज्येष्ठ?
घने वृक्ष
सागर तट
एक लड़की संवारे
आतिथ्य पट
अतिरंगी, अविस्मरणीय
सागर के झोंको संग
घने वृक्षों के बी
मराठी, हिंदी, अंग्रेजी में
सुगंधित हवा की तरह
बहती रहती है,
कौन भूल सकता है
ऐसे स्थल को, जहां
आत्मीय सत्कार हो
अतिथि की जयकार हो
नारी गरिमा झंकार हो,
प्रकृति की फुसफुसाहट
सागर लहरों की आहट
पक्षियों की चहचआहट
तो कौन भला
न हो अलबेला
बन प्रकृति मनचला
सागर लहरों संग
न गुनगुनाए
महकती हवाएं
अविस्मरणीय आगिथ्य पाए,
मएकर वाड़ी
अलीबाग, महाराष्ट्र
संचालित
एक नारी द्वारा
यह विज्ञापन नहीं
जो एक बार जाए
चाहे जाना दोबारा।
धीरेन्द्र सिंह
14.04.2025
22.26