आपके नयनों की क्यारी में
चमक रहे हैं जुगनू एकसे सारे
मेरे लबों ने जो चाहा पकड़ना
जुबान पर चढ़ गए खारे-खारे
नयन में मेघ सी पुतलियाँ उडें
बीच में चंचल मेघ कारे-कारे
पलकें फड़फड़ाए ले बेचैनियाँ
जुगनुओं में अक्स वही प्यारे-प्यारे
दरक पड़ने को है नक्काशियां कजरारी
चटक जाने को है आसमान सकारे
उफन ना जाये कहीं अब गंगा
मांझी-मांझी लगे कोई पुकारे
नयन की बात नयन ही जाने
जीवन से जुड़े हैं कई किनारे
कोशिशें भी होती हैं नाकाम अक्सर
हार जाते ना मिल पाते किनारे.
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.