बुधवार, 4 अप्रैल 2018

चाटुकारिता

वहम अक्सर रहे खुशफहम
यथार्थ का करता दमन
अपने-अपने सबके झरोखे
नित करता उन्मुक्त गमन

गहन मंथन एक दहन
सहन कायरता का आचमन
उच्चता पुकार की लपकन
चाटुकारिता व्यक्तित्व जेहन

बौद्धिकता पद से जोड़कर
नव संभावनाएं बने सघन
भारतीय विदेश जगमगाएँ
भारत में साष्टांग चलन

चंद देदीप्य भारतीय भविष्य
अधिकांशतः स्वान्तः में उफन
चंद की उष्माएँ खोलाए
क्रमशः जी हुजूरी दफन।

धीरेन्द्र सिंह