शनिवार, 15 जून 2024

फरीदाबाद की

 पंडित, पादरी, मौलवी कहें चालबाज है

फरीदाबाद की अतृप्ता तो इश्कबाज है

 

एक मित्र पूछी क्यों लिखते फरीदाबाद

कहा एक मित्र वहां मृत होकर आबाद

उसने कहा नारी गरिमा का मजाक है

फरीदाबाद की अतृप्ता तो इश्कबाज है

 

क्यों होती तड़प बन जाते हैं, बेधड़क

ऑनलाइन, हिंदी समूह, इश्क़ ले सड़क

भोले, शालीन, चुप उम्दा नज़रबाज है

फरीदाबाद की अतृप्ता तो इश्कबाज है

 

इलाहाबाद, अहमदाबाद, हैदराबाद और

अतृप्ता न बदली न बदला उसका तौर

सुसुप्ता, उत्सुकता आदि नाम अंदाज़ हैं

फरीदाबाद की अतृप्ता तो इश्कबाज है।

 

धीरेन्द्र सिंह

15.06.2024

17.40