कौन देखता है नारी की ओजस्विता
गृहस्थी में भरती निरंतर तेजस्विता
चहारदीवारी में कर अभिनव चित्रकारी
घर निर्मित करती सदस्य हितकारी
अपने संग घर की संभाले अस्मिता
गृहस्थी में भरती निरंतर तेजस्विता
माना नर-नारी से निर्मित विद्यमान
पुरुष तपती धूप नारी तो है बिहान
झंझावातों में धारित लगे सुष्मिता
गृहस्थी में भरती निरंतर तेजस्विता
गृहस्थी दायित्व चुनौतियों का आसमान
नारी श्रृंगार घर छवि रचयिता अभिमान
थक कर समस्या उलझ अकेली जीवटता
गृहस्थी में भरती निरंतर तेजस्विता।
धीरेन्द्र सिंह
20.07.2024
11.18