कितने नयन निकस गए कसने की बारी में
मिली तुम बहुत देर से भावों की क्यारी में
कहे समाज दृष्टि ब्याहता, यह पारिवारिक
कदम बढ़ गए पक क्या यह है सुविचारित
व्यक्ति-व्यक्ति मृदु परिचय,वक़्त अँकवारी में
मिली तुम बहुत देर से भावों की क्यारी में
सहज कृत्य है या असहज, विश्व नासमझ
धार्मिक तागे से महज, यह कृत्य उलझ
क्या जाने द्वय सुलझन को दिल बारी@ में
मिली तुम बहुत देर से भावों की क्यारी में
विवाहेत्तर संबंध,उफ्फ अनर्गल यह लेखन
ब्याहता एकलक्षी बस घर, चौका, बेलन
अंतर्राष्ट्रीय नारी दिवस भी मन फुलवारी मैं
मिली तुम बहुत देर से भावों की क्यारी में
क्या कहिए जब चेतना प्यार माने, देह भोग
उच्च प्यार प्रणेता तन्मय आत्मिक संभोग
खुले शब्द का लेखन, मानसिक बीमारी में
मिली तुम बहुत देर से भावों की क्यारी में
ईश्वर भक्त का भाव, गहन हो सोचिए
ऊपर जो लिखा, तब क्या उसे नोचिये
मंदिर वास्तु,धर्म पुस्तकें कल्पना गलियारी में
मिली तुम बहुत देर से भावों की क्यारी में।
धीरेन्द्र सिंह
07.12.2023
19.22