तलहटी में तथ्य को टटोलना
सत्य के चुनाव की है प्रक्रिया
कर्म की प्रधानता कहां रही
चाटुकारिता बनी है शुक्रिया
है कोई प्रमाण कहे तलहटी
घोषणाएं ही विश्वस्त क्रिया
अनुकरण जयघोष का गुंजन
दोलायमान धूरी ही समप्रिया
चल पड़े पग असंख्य, लालसा
कथ्यसा ककहरा द्रुत त्रिया
रटंत के हैं महंत दिग दिगंत
अंतहीन कामनाओं का हिया
व्यक्ति आलोड़ित अचंभित चले
मठाधीश मन्तव्य लगे दिया
तथ्य भ्रमित शमित जले
शोर है पथ आलोकित किया।
धीरेन्द्र सिंह
27.03.2024
20.26