बुधवार, 27 मार्च 2024

मठाधीश


 तलहटी में तथ्य को टटोलना

सत्य के चुनाव की है प्रक्रिया

कर्म की प्रधानता कहां रही

चाटुकारिता बनी है शुक्रिया


है कोई प्रमाण कहे तलहटी

घोषणाएं ही विश्वस्त क्रिया

अनुकरण जयघोष का गुंजन

दोलायमान धूरी ही समप्रिया


चल पड़े पग असंख्य, लालसा

कथ्यसा ककहरा द्रुत त्रिया

रटंत के हैं महंत दिग दिगंत

अंतहीन कामनाओं का हिया


व्यक्ति आलोड़ित अचंभित चले

मठाधीश मन्तव्य लगे दिया

तथ्य भ्रमित शमित जले

शोर है पथ आलोकित किया।


धीरेन्द्र सिंह

27.03.2024

20.26

देह

 देह कहां अस्तित्ब है मनवा

आत्म प्रीति ही जग रीति

रूप की आराधाना है भ्रम

आत्मचेतना ही नव नीति


देह प्रदर्शन देता मोबाइल

दैहिक कामना ढलम ढलाई

रूप कहां की प्रेम रीति

आत्मचेतना ही नव निति


ना सोचो देह जशन है

बिना देह सजनी-सजन हैं

संवेदनाओं में गहन प्रतीति

आत्मचेतना ही नव प्रतीति


वर्षों तक हम रहे अबोले

भाव हृदय कहां बिन बोले

तत्व चेतना की ही स्थिति

आत्मचेतना ही नव प्रतीति।


धीरेन्द्र सिंह

27.03.2024

16.19