हर उम्र का एक दोस्ताना है
उम्र दर उम्र वही आशिकाना है
कुछ गंभीरता लिए समझदारी भी
जिंदगी को भी तो रिझाना है
तथ्य हैं, कथ्य हैं, सत्य-असत्य है
लक्ष्य है, लाभ है, पथ्य-नेपथ्य है
दिनचर्या पाठ्यक्रम सा पढ़ जाना है
जिंदगी को भी तो रिझाना है
सहजता अक्सर होती है विवशता
कर्म फेंक रहे भाग्य है कम फंसता
जिजीविषा का बस एक तराना है
जिंदगी को भी तो रिझाना है
देखिए न उम्र का मूक सौंदर्य
कहिए न चाह से करे सहचर्य
मोहित, मुग्धित, मधुर गुनगुनाना है
जिंदगी को भी तो रिझाना है।
धीरेन्द्र सिंह
22.05.2024
21.22