प्रणय पग धीरे-धीरे
मन के तीरे-तीरे
कहो, तुम चलोगी
संग मेरे बहोगी
सपनो को घेरे-घेरे
मन के तीरे-तीरे
आत्मिक है निमंत्रण
सुख शामिल प्रतिक्षण
उमंग मृदंग फेरे-फेरे
मन के तीरे-तीरे
व्यग्र समग्र जीवन
चतुराई से सीवन
छुपाए तागे उकेरे-उकेरे
मन के तीरे-तीरे
आओ करें मनमर्जियाँ
अनुमति की ना मर्जियाँ
नव उद्गम धीरे-धीरे
मन के तीरे-तीरे।
धीरेन्द्र सिंह
06.06.2024
05.16