उसके फोन में इतने नाम हैं
लगे सब ही उलझे, बेकाम हैं
हर किसी से हो बातें आत्मीय
सब सोचें संबंध यह सकाम है
क्यों लरजती है इस तरह लज्ज़ा
चूनर लटक रही घुमाती छज्जा
जो था कभी करीब गुमनाम है
सब सोचें संबंध यह सकाम है
45 वर्ष में बदन भरने लगा है
प्रसंग भावुकता में बढ़ने लगा है
बंद फेसबुक सक्रिय टेलीग्राम है
सब सोचें संबंध यह सकाम है
नारी शक्ति, स्वन्त्रत आसमान
नारी स्वयं में है पूर्ण अभिमान
फरीदाबाद जिंदाबाद प्रणय धाम है
सब सोचें संबंध यह सकाम है।
धीरेन्द्र सिंह
12.06.2024
08.30