बहुत कुछ लूटकर, दिल ना लूट
पाए
यूं तो मित्रों में अपने, हंसे मुस्कराए
प्रणय का पथ्य भी होता है सत्य
प्यार के पथ पर, असुलझे कथ्य
प्रीत की डोर पर बूंदे ही सुखा
पाए
यूं तो मित्रों में अपने, हंसे मुस्कराए
विकल्पों के मेले में लगा बैठे
ठेले
भावनाएं बिकती हैं कोई भी ले
ले
विपणन चाह की क्या कर ही पाए
यूं तो मित्रों में अपने, हंसे मुस्कराए
उत्तम छवि आकर्षण, हृदय में घर्षण
करीब है उसका, अभी कर दे तर्पण
नए को पाकर भी, क्या खिलखिलाए
यूं तो मित्रों में अपने हंसे
मुस्कराए।
धीरेन्द्र सिंह
10.10.2023
19.31