पहल का प्रथम प्रहर अनुराग है
शेष तो बस संतुलित स्वांग है
सत्य प्रायः रह जाता है अबोला
असत्य ही प्रखर होकर है बोला
सामाजिकता में निर्मित ऐसा प्रभाग है
शेष तो बस संतुलित स्वांग है
भाव उल्लेख की कई अभिव्यक्तियां
यही आहत करतीं सरगमी नीतियां
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ही राग है
शेष तो बस संतुलित स्वांग है
चल पड़ा जो राह विश्वास संग एकल
समाज तो क्या विश्व हुआ बेकल
रचित गठित ही सामाजिक मांग है
शेष तो बस संतुलित स्वांग है
नाद के निनाद में क्यों विवाद
भाव विभोरता पर क्यों आघात
हृदय पूजित का ही भान है
शेष तो बस संतुलित स्वांग है।
धीरेन्द्र सिंह
12.01.2024
07.11