रंग-रंग परिवेश है, लेकर अपनी आस
चाहत चठख रंग तलाशे, अपनी-अपनी प्यास
फागुन आया लिए फुहारें, तन-मन हर्षाए
नयन-नयन पिचकारी, ढूंढे कोई ख़ास
कान्हा-कान्हा पुरुष बने, नारी राधा हिय साथ
अर्पित मन अकुलाय के, मांगे प्रीत विश्वास
अबीर-गुलाल कमाल किए, हिय से हिय छुए
हर्ष-विषाद सब रंग हुए, बन एक दूजे के ख़ास
विपुल संपदा, व्यापक संस्कृति, जग पाए गति
रंग बिखेरें छटाएं और फागुन भारत उल्लास
सभी भाव मुखरित हों, सब के माफिक रंग
समरसता की होली यह मन में लाए मधुमास
फागुन एक त्यौहार नहीं जीवन का रसधार
रंग लगाकर हर्षित हो मन स्नेह का अहसास
इन शब्दों में भर रंगों को आप को शुभ होली
अल्हड़, अलमस्त, अलहदा फागुन का है मास।