अब नज़र किसकी और कैसी भला चाह
की है हमने भी मुहब्बत, वाह-वाह-वाह.
कई गुलदस्ते भी कुम्हला गए, छूकर मुझे
जला गई एक आग बोल, चाह-चाह-चाह.
देखे कई चेहरे, सुनी बातें, महकती अदाऍ
हर बार दिल बोल उठा, वही राह-राह-राह.
जब लगता था हैं क़रीब, तब थी दीवानगी
अब देख कर मुझे, कहें सब दाह-दाह-दाह.
मैं अपनी राह पर हूँ ढूँढता, खोए दिल को
दिलदार की पुकार में, पनाह-पनाह-पनाह.
गुरुवार, 4 नवंबर 2010
कोई लौट आया है
आइए, निगाहों ने फिर उसी, मंज़र को पाया है
देखिए, धड़कनों ने फिर वही, गीत गुनगुनाया है,
सुनिए, तासीर ता-उम्र तक, होती न खतम कभी
देखिए, आपको सुनने ख़ातिर, महफिल सजाया है.
रिश्तें भी कई किस्म के, होते हैं अनेकों रंग जैसे
कोई तो डोर होगी, जिसने बड़े हक़ से बुलाया है,
ख़याल आते ही,सीने में उठती थी आंधी सीने में
हक़ीकत यह भी है कि, मुझे यादों ने रूलाया है.
आप तो दिल निकालकर, पेश कर देते हैं हमेशा
पर अब तलक, दिल-दिलको ना समझ पाया है,
ख़ैर ज़िंदगी लंबी बड़ी, समझ लेंगे कभी फिर तो
हसरतों को सजने-संवरने दूँ, कोई लौट आया है.
देखिए, धड़कनों ने फिर वही, गीत गुनगुनाया है,
सुनिए, तासीर ता-उम्र तक, होती न खतम कभी
देखिए, आपको सुनने ख़ातिर, महफिल सजाया है.
रिश्तें भी कई किस्म के, होते हैं अनेकों रंग जैसे
कोई तो डोर होगी, जिसने बड़े हक़ से बुलाया है,
ख़याल आते ही,सीने में उठती थी आंधी सीने में
हक़ीकत यह भी है कि, मुझे यादों ने रूलाया है.
आप तो दिल निकालकर, पेश कर देते हैं हमेशा
पर अब तलक, दिल-दिलको ना समझ पाया है,
ख़ैर ज़िंदगी लंबी बड़ी, समझ लेंगे कभी फिर तो
हसरतों को सजने-संवरने दूँ, कोई लौट आया है.
प्रीत
जब तुम मुस्कराती हो, नयन में गीत होता है
लबों पर तड़पती बातें, ज़ुबां पर मीत होता है.
पलकों में लग जाते पंख, उड़ने को आमदा
अंगुलिओं में लिपटता मौन, यह रीत होता है
चमन की खुश्बुएं ले, लहराती हैं जब जुल्फें
गुलों के रंग पड़ते फीके, यही प्रतीत होता है
बिन बोले होती हैं बातें, ख़ामोशी भी घबराये
धडकनें धुन नयी सजाएं, यही तो प्रीत होता है
लबों पर तड़पती बातें, ज़ुबां पर मीत होता है.
पलकों में लग जाते पंख, उड़ने को आमदा
अंगुलिओं में लिपटता मौन, यह रीत होता है
चमन की खुश्बुएं ले, लहराती हैं जब जुल्फें
गुलों के रंग पड़ते फीके, यही प्रतीत होता है
बिन बोले होती हैं बातें, ख़ामोशी भी घबराये
धडकनें धुन नयी सजाएं, यही तो प्रीत होता है
हौले से सधे लफ्ज़ों से, उठती हरदम यह शरारत
तुम्ही वह ठौर हो, जो कानों मे करती रहे आहट.
कुछ भी ना सोचो, दिल से ज़रा सोचो मुझको
आसमॉ भी सिमट आता है, बड़ी चीज है चाहत.
मन को जुड़ना है तुमसे, तुम ही नदी व तीर हो
भँवर मे सोच फँसने की, उभरती है इक घबराहट.
ना वादे हैं, ना कसमें हैं, महज़ इक प्यार दीवाना
समंदर की लहरों की जैसे, किनारे से हो टकराहट.
इम्तिहॉ से कहॉ मिलता है, सवालों का कोई जवाब
जला देती है आहों से, सुलगती चाह की गरमाहट.
तुम्ही वह ठौर हो, जो कानों मे करती रहे आहट.
कुछ भी ना सोचो, दिल से ज़रा सोचो मुझको
आसमॉ भी सिमट आता है, बड़ी चीज है चाहत.
मन को जुड़ना है तुमसे, तुम ही नदी व तीर हो
भँवर मे सोच फँसने की, उभरती है इक घबराहट.
ना वादे हैं, ना कसमें हैं, महज़ इक प्यार दीवाना
समंदर की लहरों की जैसे, किनारे से हो टकराहट.
इम्तिहॉ से कहॉ मिलता है, सवालों का कोई जवाब
जला देती है आहों से, सुलगती चाह की गरमाहट.
मैं
गलियॉ-गलियॉ घूम चुका, ऐसा मैं दीवाना हूँ
झुलस-झुलस कर ज़िंदगी पाऊँ, ऐसा मैं परवाना हूँ.
तरह-तरह की आग जल रही, तपन सहन नहीं कर पाऊँ
लिपट-चिपट कर आग बुझा लूँ, मैं भी एक सयाना हूँ.
नाम आईना बनकर मुझको, ख्वाब नए दिखलाता है
चेहरा उनका ही दिखता है, मैं तो एक बहाना हूँ.
कितने-कितने तीर चल रहे, मीठी लगती है रसबोली
भोली बनकर करे शरारत, मैं भी एक तराना हूँ.
प्यार, मुहब्बत, इश्क, इबादत, मुझको एक से लगते हैं
इस बस्ती में जीनेवाला, मैं भी बड़ा पुराना हूँ.
झुलस-झुलस कर ज़िंदगी पाऊँ, ऐसा मैं परवाना हूँ.
तरह-तरह की आग जल रही, तपन सहन नहीं कर पाऊँ
लिपट-चिपट कर आग बुझा लूँ, मैं भी एक सयाना हूँ.
नाम आईना बनकर मुझको, ख्वाब नए दिखलाता है
चेहरा उनका ही दिखता है, मैं तो एक बहाना हूँ.
कितने-कितने तीर चल रहे, मीठी लगती है रसबोली
भोली बनकर करे शरारत, मैं भी एक तराना हूँ.
प्यार, मुहब्बत, इश्क, इबादत, मुझको एक से लगते हैं
इस बस्ती में जीनेवाला, मैं भी बड़ा पुराना हूँ.
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