समर्पित प्रेम में होता यह विषय
विवाद
मीरा सी खुमारी या राधा सा विरह
नाद
अंतस हिलोर मारे अभिलाषाओं की
शुमारी
गहन तरंग उठे असीम चेतना की खुमारी
प्रणय पुष्प सा फले, फूले, महके निर्विवाद
मीरा सी खुमारी या राधा सा विरह
नाद
एक ही धूरी पर प्रणय की अनंत
शाखाएं
कुछ मीरा कहें कुछ संग राधा गुनगुनाएं
क्या प्रेम मात्र एक छात्र एक पाठ संवाद
मीरा सी खुमारी या राधा सा विरह
नाद
किस तरफ शौर्य का गुंजित है अभिमान
बिना साहस प्रेम का हो सके ना
ज्ञान
कान्हा की बांसुरी तो सुदर्शन
चक्र निनाद
मीरा सी खुमारी या राधा सा विरह
नाद।
धीरेन्द्र सिंह
13.05.2024
16.39