गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024

मस्तूल हो गए

 

आईने में भाव चेहरा फिजूल हो गए

जब से वो यकायक मस्तूल हो गए

 

एक सोच उधार का बिन विश्लेषण

मस्तूल होकर पा गए एक विशेषण

कर्म कर रहे थे जो धता दे गए

जब से वो यकायक मस्तूल हो गए

 

कहा गया कि नाव यह व्यापार करेगी

भाषा और संस्कृति का प्रचार करेगी

हो साथ लुटेरों के मशगूल हो गए

जब से वो यकायक मस्तूल हो गए

 

कोई कहे आपा कोई दोहा भी सिखाए

मस्तूल प्रकाशन का सर्व बात बताए

लालच में उलझ उजड्डों के मूल हो गए

जब से वो यकायक मस्तूल हो गए

 

ढाबा सी नौका में अकस्मात ही हिचकोले

हवाओं के वेग से नौका संग खूब डोलें

स्वार्थियों के बीच वह चाह फूल हो गए

जब से वो यकायक मस्तूल हो गए।

 


धीरेन्द्र सिंह

02.02 2024

09.52