जो जितना पढ़ेगा
वह उतना भिड़ेगा
अंधकार दूर कर
ज्योति वह तिरेगा
पुस्तक मात्र नहीं
दृष्टि जो मढ़ेगा
पुस्तक से बेहतर
विचार वह नढ़ेगा
धार्मिक पुस्तकें विशिष्ट
चिंतन पढ़ फहरेगा
शेष जीवन दिखलाता
समझा वही बढ़ेगा
सीख नहीं क्षोभ
दर्द ऐसे कहरेगा
भाषा, चिंतन, अभिव्यक्ति
भविष्य को तरेगा।
धीरेन्द्र सिंह
19.05.2024
13.53