आहटों का क्या भरोसा बोल दें कब
हाशिए से हसरतें कब छिटक जाएँ
एक अंजुरी में सागर की लालसा चपल
लहरों पर आकाँक्षाओं के दीपक सजाएँ
रंगमयी कामनाओं की रंगोली धवल
देह देहरी बंदनवार की स्वागती छटाएं
एक कंपित टहनी पर ठहरी बूँद
निरख रही पुष्प की अभिनव अदाएं
भाव के अलाव में ठिठुरन कहाँ
अगन मन मगन हो धधकती जाये
जलने-जलाने का यह अनवरत क्रम
विरह की मिलती है क्यों रह-रह सदाएं
क्यारियों में बंटी हैं वाटिकाएं
प्यार की रचती शाखाएं–प्रशाखाएं
हो विभाजित कब मिली परिपूर्णता
आहटों को पकड़ चलो खिल जाएँ
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.