बुधवार, 29 नवंबर 2023

प्लास्टिक फुलवारी

 हृदय स्पंदनों की पर्देदारी

यही सभ्यता यही होशियारी


कामनाओं के प्रस्फुटन निरंतर

अभिव्यक्तियों के सब सिकंदर

गुप्तता में सकल कर्मकारी

यही सभ्यता यही होशियारी


प्रतीकों में हो रही बातें

इ मिलाप के दिन रातें

संबंधों में इमोजी लयकारी

यही सभ्यता यही होशियारी


मौलिकता की खुलेआम चोरी

सात्विकता की दिखावटी तिजोरी

मानवता की विचित्र चित्रकारी

यही सभ्यता यही होशियारी


सबके समूह सबके घाट

सब अलमस्त दिखाए ठाठ

आधुनिकता बनी प्लास्टिक फुलवारी

यही सभ्यता यही होशियारी।


धीरेन्द्र सिंह

29.11.2023

19.03