सोमवार, 15 जुलाई 2024

फोन

 “प्लीज बी इन टच” फोन करते रहिएगा

ऐसा कोई बोले फोन कभी ना करिएगा


अपने पद की गरिमा के हैं सुप्त अरुणिमा

सेवानिवृत्ति के बाद भी चाहें वही महिमा

फोन कीजिएगा क्यों महिमामंडन भरिएगा

ऐसा कोई बोले फोन कभी ना करिएगा


पद पर बैठा बोले तो वह सबको तौले

और अस्पष्ट निवेदन कि गरिमा ना डोले

चापलूसी लगे ऐसा कह क्यों उभरिएगा

ऐसा कोई बोले फोन कभी न करिएगा


इसमें अपवाद मात्र अवस्था बीमारी है

निज चिकित्सक ही दवा-दारू खुमारी है

कोई कहे फोन करें तो खूब महकिएगा

ऐसा कोई बोले फोन कभी न करिएगा।


धीरेन्द्र सिंह

16.07.2024

10.35


आप भी

 सौंदर्य का सृष्टि पर उपकार है

आप भी तो प्रकृति उपहार हैं


पुष्प रंग और सुगंध दंग कर रहे

पुलकित हृदय नए प्रबंध कर रहे

टहनी लचक कमनीयता झंकार है

आप भी तो प्रकृति उपहार हैं


बारिश बूंदे फूटे झरने मस्त फुहार

शीतल जल चरणों का करे दुलार

आप नयन से बरसें जैसे गुहार हैं

आप भी तो प्रकृति उपहार हैं


मन आपका वादियां आकर्षित जन

तन आपका शर्तिया व्योम का रहन

एक प्रतिरूप आप, कामना द्वार है

आप भी तो प्रकृति उपहार हैं।


धीरेन्द्र सिंह

16.07.2024

09.29