कब
सुन्दर लग जाता कोई
कब
दिल को छू जाता है
एक
पल का केवल मिलना
लगता
जन्मों का नाता है
कहते
हैं कि दृष्टि हो सुन्दर
सब
सुन्दर लग जाता है
यदि
ऐसा कहना सच है तो
दिल
को हर क्यों ना भाता है
दिनों
साथ रहता संग कोई
प्रीति
अधजगी रहती सोई
दिल
दृष्टि ना अकुलाता है
उठती
कोई ना जिज्ञासा है
आप
मधुभरी चाँदनी जैसी
श्याम
घटा की रागिनी जैसी
ह्रदय
प्यार यह छलकाता है
दिल
से दिल का यह नाता है
कैसी
प्रतीक्षा कैसा यह अनमन
छोड़िये
दिल दिमाग की अनबन
दिल
की चाहत को चुकाना है
बस
प्यार से उन्हें बतलाना है.
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.