सत्य सजल नयन उपवन
भावों की अविरल शीतलता
हर सृष्टि रचे अपनी धुन में
जग अपनी रचे लखि नीरवता
शब्दों का क्षद्म उपयोग नहीं
संवाद प्रवाहित निर्मल सरिता
हर लहर फहर दिल तक धाए
अनकहे प्रवाहित सबल धरिता
पट खोल लिए रचि पर्देदारी
कुछ दरद चटक निज करिता
यह भी एक संवाद सुफल जग
एक भाव लिए जीवन चरिता।
धीरेन्द्र सिंह