गुजर गए द्वार से सुरक्षा ने ना छुवा
जूता से कलर स्मोक से हो गया धुवाँ
दो बाहर को किए धुवाँ दो संसद में
सांसदों ने पकड़ा जोश मिले भय में
दर्शक दीर्घा से कूदे जैसे हो कोई कुवां
जूता से कलर स्मोक से हो गया धुवाँ
संसद है संविधान प्रहरी प्रजातंत्र का
दर्शक दीर्घा मिला अधिकार है प्रजा का
प्रजा के चार लोगों ने इस मंदिर को छुवा
जूता से कलर स्मोक से हो गया धुवाँ
अपनों से भी खतरा कहे माटी घबड़ा
स्वार्थ, भ्रमित होकर जाते कहीं टकरा
संसद आक्रमण बरसी को दिए गूंजा
जूता से कलर स्मोक से हो गया धुवाँ
अपने ही घर में और कितनी सुरक्षा
अपने ही भ्रमित होकर भूलें सदीक्षा
अपनों में असभ्यता का पनपे क्यों सुवा
जूता से कलर स्मोक से हो गया धुवाँ।
धीरेन्द्र सिंह
13.12.2023
15.56