कर्मठता का रंग लिए मैं खेल रहा हूं होली
सूनी आँखें टीसते दिल की ढूंढ रहा हूँ टोली
रंग, उमंग, भाँग में डूबनेवाले यहाँ बहुत हैं
रंगहीन जो सहम गए हैं बोलूँ उनकी बोली
अपनी खुशियाँ सबमें बांटू जिनका सूना आकाश
दर्द रंग में भींगा सकूं ऐसे हों हमजोली
दर्द-दुखों के संग मैं खेलूँ रंग असर रसदार
सूनी आँखों चहरे पर दे खुशियों की रंगरोली
निकल चला हूँ दर्द ढूँढने सड़कों पर गलियों में
मुझ जैसे और मिलेंगे क्या खूब जमेगी होली.
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.