प्रियतम प्यारे
आप ऐसे ही भींगे रहें
भावनाओं के वलय
बूंद बन तन-मन बहें,
अर्चनाएं सघन मन
प्रभु कृपा से कहें,
मन एकात्म यूँ डिगे रहें
आप ऐसे ही भींगे रहें;
ज्ञात भी अज्ञात भी
मनभाव तथ्य यही गहें,
सर्जनाएँ प्रीत की हम
शब्दों में गहि-गहि कहें,
प्यार की राह में यूँ टिके रहें
आप ऐसे ही भींगे रहें।
धीरेन्द्र सिंह