या तो आंख मूंद लें या देखें अपना क्षेत्र
पढ़ लिए समझ लिए अब खोलना त्रिनेत्र
छः सात वर्ष की बच्चियां यौन देह क्रूरता
बालिका क्या समझे कैसे कौन है घूरता
कवि की रचना में काम अर्चना ही क्षेत्र
पढ़ लिया समझ लिया अब खोलना त्रिनेत्र
कौन कहां कैसे उलझाए, रहा है नया खेल
भोलापन सीखने के क्रम में, जाता बन भेल
कर्म अब विधर्म होकर सत्कर्म को करें अनेत्र
पढ़ लिया समझ लिया अब खोलना त्रिनेत्र
देह के सिवा भी हैं जीवन की कई समस्याएं
सब कुछ पा लेने को जबरन देह ही बिछा जाए
क्षद्म अब श्रृंगार, है कलुषित सौंदर्य अक्षेत्र
पढ़ लिया समझ लिया अब खोलना त्रिनेत्र।
धीरेन्द्र सिंह
27.09.2024
14.45