रविवार, 18 मई 2025

मुस्कराहट

 मुस्कराहट मन में या होंठ पर

हर हालत में दे जाती है कौंध

जो समझ ले बूझ ले उसे भी

दर सोच-सोच कल्पना के पौध


शब्द जिसको कहने में हिचकिचाता

मुस्कराहट कह दे उसको छौंक

समझनेवाला अर्थ ढूंढता हो तत्पर

अर्थ-अर्थ समर्थ होकर जाता चौंक


हर हृदय एक आस भी है प्यास

समाज से भयभीत हो कतरब्यौन्त

अभिलाषाएं जगती पनपती स्वभावतः

मुस्कराना न आए हो जाती मौत


मुस्कराहट की है श्रेणियां विशेषताएं

भावनाएं जो प्रबल वही भादो चैत

व्यक्ति संवेदनशीलता हो बंधनमुक्त

एकाकार भाव हों अस्तित्व हो द्वैत।


धीरेन्द्र सिंह

18.05.2025

14.08