सोमवार, 19 मई 2025

क्या करता

 मन मसोसकर जीवन  है विवशता

कहावत सही, मरता न क्या करता


आप बाग-बाग सी महक-महक गईं

अभिलाषाएं प्यार की मचल लुढ़क गई

अप्रतिम हो व्यक्तित्व मन है कहता

कहावत सही, मरता न क्या करता


आप आब-आब हैं शवाब ताब हैं

सगुन लक्षणी खिला माहताब हैं

मनभावनी हैं भाव झरते ही रहता

कहावत सही, मरता न क्या करता


आप लज्जा-लज्जा हैं प्यार का छज्जा

बच्चा सा दुबका प्यार अरमानी मस्सा

कदम बढ़ चला अब रुके नहीं रुकता

कहावत सही, मरता न क्या करता


आप गर्व-गर्व हैं संगत का पर्व है 

मर्त्य हर प्रयास का भी उत्सर्ग हैं

जीवन प्यासा ले चाहत है सिहरता

कहावत सही, मरता न क्या करता।


धीरेन्द्र सिंह

19.05.2025

18.23



ऑनलाइन

 हर चीज है ऑनलाइन

हर उम्मीद ऑनलाइन

हरएक को चाहनेवाले

फ्रेंडलिस्ट भी ऑनलाइन


मिलना आसान ऑनलाइन

फ़्लर्ट संसार भी ऑनलाइन

मिलते कई विकल्प यहां

चमत्कार धार ऑनलाइन


इंसान झंकार ऑनलाइन

तबियत मसाज ऑनलाइन

कोई न कोई मिल जाता

अनमोल हैं ऑनलाइन


इंसान से इंसान हो दूर

अनुभूति मिले ऑनलाइन

व्यक्तिगत मिले बगैर

व्यक्तित्व ढलता ऑनलाइन।


धीरेन्द्र सिंह

19.05.2025

16.50