धर्म वर्चस्वता स्वाभाविक
अर्चनाएं भी जरूरी
अजान की गूंज पाक
हनुमान चालीसा ना मजबूरी,
सौम्य और शांत धर्म
कोलाहल भूने जैसे तंदूरी
लाउडस्पीकर मस्जिद में ऊंचा
रामबाण भी तो प्रथा सिंदूरी
माला सब जपें तो पुकार क्यों
धर्म निजता ना जी हुजूरी
धर्म नव व्यवस्थाएं मांगे
कामनाएं सबकी हों अवश्य पूरी।
धीरेन्द्र सिंह
12.04.2022
08.42