शनिवार, 26 अक्टूबर 2024

अस्तित्व

 तुम मुझे टूटकर जिस दिन गुनगुनाओगी

अपने दामन में मेरे अस्तित्व को पाओगी


पहल कर नारी को इंगित करना न आदत

तुम मेरी होगी जैसे हो सूफियाना इबादत

मुझे छूकर तुम नव रचनाकार बन जाओगी

अपने दामन में मेरे अस्तित्व को पाओगी


छुवन मन का है होता यूं ही चर्चित है तन

विपरीत लिंगी आकर्षण प्राकृतिक चलन

मुड़ जाऊंगा यदि मुझे निःशब्द उलझाओगी

अपने दामन में मेरे अस्तित्व को पाओगी


वह होते और जो करते नारी का पीछा

न चाहे नारी तो कोई स्पंदन नहीं होता

मुझे विश्वास मेरे भावों को समझ पाओगी

अपने दामन में मेरे अस्तित्व को पाओगी।


धीरेन्द्र सिंह

25.10.2024

20.58




धूल जमी

 दीपावली से पहले घर की स्वच्छता

चाहिए लगनभरी लक्ष्यकारी उन्मत्तता


दीवारों पर धूल जमी उसकी हो सफाई

पानी-सर्फ घोल संग स्पंज की दौड़ाई

वैक्यूम क्लीनर की रहे सर्वोच्च इयत्ता

चाहिए लगनभरी लक्ष्यकारी उन्मत्तता


छोड़ देते कभी कर वादा गृह सज्जाकार 

मिलकर करते सफाई तब संग परिवार

कितनी निखर जाती यह संग संयुक्तता

चाहिए लगनभरी लक्ष्यकारी उन्मुक्तता


जग उठीं फिर घर की चहारदीवारी

दीपोत्सव पर्व के प्रकाश की लयकारी

कुछ दिन शेष ज्योतिपर्व उच्च महत्ता

चाहिए लगनभरी लक्ष्यकारी उन्मुक्तता।


धीरेन्द्र सिंह

25.10.2024

16.59