चहकती भावनाएं अपेक्षाओं की अलगनी
खाली पल में अक्सर इनकी तनातनी
चहक को रिझाती अपेक्षा की भावना
अलगनी खूब झुलाती नमी भर कामना
नयन के खारेपन में कुछ सुनासुनी
खाली पल में अक्सर इनकी तनातनी
महक जाता हृदय क्या यह आवारगी
प्रणय से दूर समझें क्या बेचारगी
कोई यूं हृदय में बसी गुनगुनी
खाली पल में अक्सर इनकी तनातनी
हर द्वार पर कंपित हैं वंदनवार
एक पुकार में अदृश्यता है शुमार
संपूर्णता अपूर्णता मैं है ठनाठनी
खाली पल में अक्सर इनकी तनातनी।
धीरेन्द्र सिंह
11.09.2023
14.00
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