मैं हूँ गगन का ठहरा एक बादल
सुना ऐ हवा एक धुन मस्तानी
तपिश प्यार का जल, शोषित किया
हवा संग तुझसे है, पोषित किया
अपनी यही एक जीवन कहानी
सुना ऐ हवा एक धुन मस्तानी
प्रणय हो गया अनपेक्षित, अकस्मात
प्रलय झूम आया, प्रणय दे आघात
थी मेरी खता या उसकी कारस्तानी
सुना ऐ हवा एक धुन मस्तानी
था शोषित प्रणय पर भरा व्योम था
बादलों का जमघट बड़ा सौम्य था
धरा खींच ली बना उनको पानी
सुना ऐ हवा एक धुन मस्तानी
प्रणय ना है छूटा रहे जग रूठा
हृदय गीत मगन स्पंदन अनूठा
हवा चल करें शुरू नव जिंदगानी
सुना ऐ हवा एक धुन मस्तानी।
धीरेन्द्र सिंह
17.12.2023
07.16