महकते-चहकते यूं बन एक कहानी
करे कोई याद तो बड़ी मेहरबानी
किया क्या है जीवन को दे, सदा
अपने ही पूछें किया क्या है, बता
यह गलती नहीं पीढ़ी फर्क कारस्तानी
करे कोई याद तो बड़ी मेहरबानी
सृजन क्या जतन क्या सहन क्या
यह सब जीवन संग है, नया क्या
भावों को कुचल करते प्रश्न तर्कज्ञानी
करे कोई याद तो बड़ी मेहरबानी
धन-संपदा न अभाव, कहता छांव
रुपयों से कब सजा, मन बसा गांव
अपने हो संग महकाए जिंदगानी
करे कोई याद तो बड़ी मेहरबानी
सौभाग्य है जो रहते, अपनों के साथ
बारहवीं मंजिल की वृद्धा, अपने हाथ
एक रात आते बच्चे लुटाने ऋतु सुहानी
करे कोई याद तो बड़ी मेहरबानी।
धीरेन्द्र सिंह
19.12.2023
08.22