रविवार, 28 नवंबर 2010

मेंहदी

खिल-खिल हथेलियों पर, मेहँदी खिलखिलाए रे
अपनी सुंदरता पर, प्रीत बिछी जाए रे,
कुहक रही सखियॉ सब, कोयलिया की तान सी
हिय में नया जोश भरा, छलक-छलक जाए रे

मेहँदी सब देखे, सब जाने-बूझे बतिया
अँखियन के बगियन में, सपन दे सजाए रे
ऐसी निगोड़ी बनी, छोरी छमक सखियॉ सब
साजन का नाम ले, हिया दे बहकाय रे

अधरों पर सजने लगे, सावनिया गान सब
सॉवरिया सजन अगन, दिया दहकाय रे,
बरसा की बूंदे भी, छन-छन कर उड़ जाए
बदन के ऑगन में, नया राग बजा जाए रे.