ना भीड़ ना ठेलमठेला
जेब में न हो अधेला
हिंदी का रंगीन है ठेला
देखें विश्व पुस्तक मेला
प्रकाशकों के सजे स्टॉल
गीत एक अलग ताल
खेल सांप और संपेला
देखें विश्व पुस्तक मेला
हिंदी चिंदी बन बैठी
रद्दी भाव सुधि पैठी
थोक भाव विक्रय खेला
देखें विश्व हिंदी मेला
प्रकाशक करें कदमताल
कुछ वक़्ता स्टॉल-स्टॉल
हिंदी की कैसी यह बेला
देखें विश्व हिंदी मेला
हिंदी में भी बड़े मदारी
कर्म छोड़ शब्द जुआरी
ख्याति, प्रसिद्धि की बेला
देखें विश्व हिंदी मेला।
धीरेन्द्र सिंह