दुनिया है तो दुनियादारी है
दाल, चावल, गेहूं, तरकारी है
निजी है तो बेहतर ही होगा
मिल जाता खोट गर सरकारी है
उत्तरोत्तर कर रहा विकास चतुर्दिक
ऐसी प्रगति भी लगे दुश्वारी है
बाजारवाद में अपनी बिक्री की चिंता
रोको, अवरोध, कहां विरोध कटारी है
सत्य कहां निर्मित होता प्रमाण मांग
गर्भावस्था की क्या प्रामाणिक जानकारी है
भ्रूण की किसने देखा संख्या बतलाओ
सत्य हमेशा नंगा बोलो क्या लाचारी है।
धीरेन्द्र सिंह
दाल, चावल, गेहूं, तरकारी है
निजी है तो बेहतर ही होगा
मिल जाता खोट गर सरकारी है
उत्तरोत्तर कर रहा विकास चतुर्दिक
ऐसी प्रगति भी लगे दुश्वारी है
बाजारवाद में अपनी बिक्री की चिंता
रोको, अवरोध, कहां विरोध कटारी है
सत्य कहां निर्मित होता प्रमाण मांग
गर्भावस्था की क्या प्रामाणिक जानकारी है
भ्रूण की किसने देखा संख्या बतलाओ
सत्य हमेशा नंगा बोलो क्या लाचारी है।
धीरेन्द्र सिंह