हिंदी साहित्य में रूप का बहु कथ्य है
शरीर एक तत्व है क्या यही तथ्य है
जब हृदय चीत्कारता, क्या वह बदन है
तथ्य आज है कि, जीव संवेदना गबन
है
क्या प्रणय भौतिकता का निजत्व है
शरीर एक तत्व है क्या यही सत्य है
अन्तरचेतना में, वलय की हैं बल्लियां
बाह्यचेतना में, लययुक्त स्वर तिल्लियां
चेतना चपल हो, क्या यही पथ्य है
शरीर एक तत्व है क्या यही सत्य है
प्रणय का है रूप या रूप का है प्रणय
आसक्तियां चुम्बकीय या समर्पित विनय
व्यक्ति उलझा भंवर में क्या यह त्यज्य है
शरीर एक तत्व है क्या यही सत्य है।
धीरेन्द्र सिंह
15.04.2024
18.17