प्रणय पल्लवन का करें आचमन
सबको नहीं मिलता प्रणय आगमन
एक कविता उतरती है बनकर गीत
अपने से ही अपने की होती है प्रीत
मन नर्तन करे हो उन्मुक्त विहंगम
सबको नहीं मिलता प्रणय आगमन
हंसकर बोलना कुछ मस्ती मजाक
यही प्यार है लोगों लेते हैं मान
प्यार का मूल लक्षण ही है तड़पन
सबको नहीं मिलता प्रणय आगमन
हर बार हो छुवन करीब के कारनामे
कभी खुलकर हंसना कभी तो फुसफुसाने
यह है आकर्षण प्यार का धीमा खनखन
सबको नहीं मिलता प्रणय आगमन
एक साधक की साधना सा है प्यार
धड़कन में यार का अविरल हो खुमार
विचारों में संवेदनाओं का हो नमन
सबको नहीं मिलता प्रणय आगमन।
धीरेन्द्र सिंह
23.04.2024
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