मंगलवार, 23 अक्टूबर 2012

आप अधर हो आप सफर हो

शब्दों की पुड़िया में एहसासों की मिठाई
जब मिलती दिल खिलता आसमान अंगनायी
इस धरती पर कितने हैं खुशियाँ देने वाले
ऐसे इन्सानों को शत-शत है बधाई

शब्दों में जब दिल मुस्काकर मिलते हैं
नयन भींग जाते और मिल जाती नयी रुबाई
कितना सुंदर जीवन है अच्छे लोगों संग
बड़े नसीब से मिलती है पुलकित सी तरुणाई

काश करीब होते तो भर लेती यह बाहें
दो पलकों की छांह में खिलती एक अरुणाई
बातों के पुष्पों में मिलती नयी सुगंध
भावों की कश्ती में चाहत होती मदमायी

दिल में आप बसे हो अनुपम खिले-खिले हो
मेरी धड़कन मेरी तड़पन आपको भूल ना पायी
आप अधर हो आप सफर हो आप ही मेरी तृष्णा 
आप से मिलकर मेरी अभिलाषाएँ हैं भरमायी।




भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.