बुधवार, 6 अप्रैल 2011

पराक्रमी

शक्ति,शौर्य, संघर्ष ही नहीं है हल
संग इसके भी चरित्र एक चाहिए
पद,प्रतिष्ठा,पराक्रम से न बने दल
उमंग के विश्वास में समर्पण भी चाहिए

लक्ष्य भेदना ही धर्म नहीं है केवल
सत्कर्म को वर्गों में बांटना चाहिए
एकल हुआ विजेता तो यह कैसी जीत
वैचारिक ऊफान को भी  जीतना चाहिए

जीत-हार से बंधता नहीं पराक्रमी
पद,प्रतिष्ठा यहॉ सबको नहीं चाहिए
कर्म की धूनी पर पके लक्ष्यी कामनाएं
परिवर्तन के लिए पैगाम कोई चाहिए

एक ही सुर से जुड़ता रहा है कोरस
गीत की प्रखरता को निखारना चाहिए
नई नज़र, नई डगर हासिल नहीं सबको
धूप चुभन में सूरज को ललकारना चाहिए. 


भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

सोमवार, 28 मार्च 2011

क्रिकेट

एक शोर
जोरशोर से चलाए हवा
जिससे
मुड़ जाती हैं
अधिकांश निगाहें
इसे ही कहते हैं
हवा का रूख बदलना.

एक व्यक्ति
मिलाकर कुछ व्यक्ति
लेकर कई मानव शक्ति
करता है हरण
हवा की नमी का
इसे ही कहते हैं व्यावसायिक संचलन.

एक प्रयास
मनोरंजन में लपेट
दे भावनात्मक एहसास
पूरे के पूरे देश को
एक सोच के लिए
करता मज़बूर
इसे ही कहते हैं आधुनिक आखेट
या फिर कहिए खेल क्रिकेट.


भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

जीवन

निर्मोही निर्लिप्त सजल है
यह माटी में  जमी गज़ल है

खुरच दिए इक परत चढ़ी
चेहरे में भी अदल - बदल है


लोलुपता लालसा लय बनी
इसीलिए यह नई पहल है


नई क्रांति का नया बिगुल
चंगुल में लाने का छल है


मानव का मुर्दा बन जीना
फिर भी कितनी हलचल है


नई परत से चेहरा नया
हर कठिनाई का यह हल है.





भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

शुक्रवार, 25 मार्च 2011

प्यार पर एतबार

एक चाहत प्यार का झूला झूले
मन में उठती आकर्षण की हरकतें
दौड़ पड़ता मन किसी मन के लिए
यदि हो ऐसा तो कोई क्या करे

एकनिष्ठ प्यार पर एतबार तो रहा नहीं
मन है चंचल नित नवल हैं हसरतें
कैसे हो एक पर ही हमेशा समर्पण पूर्ण
दिखे हैं चेहरे हुई हैं चाहतीय कसरतें

प्यार परिभाषाओं में बांध पाया कौन
प्यार मर्यादाओं में टटोलती हैं आहटें
खुद भ्रमित कर दूजा चकित प्यार करें
कौन कहता बेअसर होती हैं सोहबतें

एक आकर्षण से बच पाना कठिन
मन को मन की है पुरानी आदतें
मैं हूं प्यार के उपवन का एक किरदार
दिल नमन करता है प्यार की शहादतें।


भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

गुरुवार, 24 मार्च 2011

बंधन

उड़ चलो संग, साथ मिल जाएगा
आसमान बदलियों सा झुकता नहीं
भावनाओं का प्रवाह है निरंतर
किसी अंतर पर यह रूकता नहीं

बंधनों के स्थायित्व की खुशी
हर्षित मन को बंधन पुरता नहीं
एक रिश्ता जन्म भर का मुकाम
जन्म भर पर यह जुड़ता नहीं

होगी कई आपत्तियॉ इस विचार पर
सोच व्यापकता लिए कुढ़ता नहीं
कितनी कोशिशें हो चुकीं नाकाम
मन सोचता पर कदम मुड़ता नहीं

बंधनों को तोड़ने का न हिमायती
बंधनों में रचनात्मकता है मूढ़ता नहीं
बंधनों से मन में जो सिसकारी उठे
झेलना कायरता है यह शूरता नहीं.


भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

जीवन संघर्ष

विगत प्रखर था या श्यामल था
इस पहर सोच कर क्या करना
मौसम भी है, ज़ज्बात भी है,
 

बहे भावों का निर्झर सा झरना

पल-छिन में होते हैं परिवर्तन
फिर क्या सुनना और क्या कहना
ठिठके क्षण को क्यों व्यर्थ करें
हो मुक्त समीर सा बहते रहना

एक संग बना जीवन प्रसंग है
तब जीवन से क्या है हरना
उड़ने की यह अभिलाषा प्रबल
विहंग सा उमंग से क्या डरना

रहे कुछ ना अटल है बस छल
कलछल से क्यों यौवन भरना
है एक प्रवाह के पार पहुंचना
मांझी की सोच से क्या करना.




भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

बुधवार, 23 मार्च 2011

प्यार की राह

सूर्य किरणें कितनी व्याकुल हो दौड़ चलीं
इस धरा पर  प्रीत जैसै  अब तीरथ हुआ है
भोर की अरूणिमा में पुलकित हुई है चाहतें
आज मन को फिर उन्हीं यादों ने छुआ है

चंदा चुपचाप निरखता रहा रात, हतप्रभ
चांदनी में उठता यह कौन सा धुऑ है
करवटें ना समझ सकीं कसमसाहट का सबब
सितारे ना समझ पाए तो कह गए दुआ है

मन के अन्दर मन हैं और भी कई
चाहतों और आहटों को भी गुमां है
कौन सी आराधना है अनवरत, अविकल
मन की सांखल बन कौन यह गुथां है

प्यार का अधिकार हर दिल की पुकार
दो दिलों के दरमियॉ का यह कहकहा है
एक दिल से दूसरे तक दौड़ रही हैं सदाएं
प्रश्न फिर भी खड़ा कि वह दिल कहॉ है.





भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.