रविवार, 15 जून 2025

प्यार न बदला

प्यार ऐसे ही रहा है शुष्कता न सलवटें

यार जो एक बार हुआ छूटता न करवटें

वह हसीन वादियों को कल्पना के रंग दें

मन के बादलों में होती सावनी कबाहटें


जग चला जग छला है प्यार का वलवला है

जलजला में हैं प्यारमुखी पुष्पलता चौखटें

मन का सांखल चढ़ा उत्सवी मन काफिले

चाहत की संदूक में हैं समर्पित कुछ हौसले


क्या बदला कुछ न बदला बदल गया समय

प्यार ठाढ़े टुकटुकी अभिव्यक्ति के नव फैसले

अब भी शरमाहट भर सकुचाते बदन भवन

उन्माद सतही दौड़ता एहसास गहरा नौलखे।


धीरेन्द्र सिंह

16.06.2025

12.09




शनिवार, 14 जून 2025

लेखन छेड़खानी

यूं ही कुछ लेखन लिए कद्रदानी

अक्सर करता है लेखन छेड़खानी


आवश्यक नहीं पहल करे रचनाकार

कुछ प्रबुद्ध टिप्पणी शाब्दिक चित्रहार

शब्दों की भावहोली रचती नव कहानी

अक्सर करता है लेखन छेड़खानी


उच्च बौद्धिकता में होती छेड़-छाड़

शाब्दिक सुंदरता भावों के फले ताड़

लूटते हैं लोग करते शब्दों की निगरानी

अक्सर करता है लेखन छेड़खानी


ऐसी चंचलता, चपलता चतुर लेखन

किसी भी समूह का पुलकित संवेदन

लेखन की लौकिकता लेखन जुबानी

अक्सर करता है लेखन छेड़खानी।


धीरेन्द्र सिंह

14.06.2025

18.33



 

शुक्रवार, 13 जून 2025

आपका लेखन

 लिख-लिखकर लुभाई हैं, हिसाब दीजिए

सभी पात्र हों प्रसन्न वह किताब दीजिए


परिपक्वता के लेखन में है अद्भुत मिठास

भाव भव्यता के खेवन में है शब्दयुक्त ठाठ

अभिव्यक्त हो प्रखर अनुभव नवाब दीजिए

सभी पात्र हों प्रसन्न वह किताब दीजिए


आपके लेखन में मेरी भावनाओं का गुबार

सुंदर शब्द आपके है और लिपटे सुविचार

प्रश्न मैं उत्तर आप हैं उपयुक्त जवाब दीजिए

सभी पात्र हों प्रसन्न वह किताब दीजिए


प्रत्यक्ष कैसे बोलूं सामाजिक मर्यादाएं हैं खड़ी

आपका लेखन है जादुई एक मंत्र की पड़ी

मंत्र पढूं कान फूंक वह आफताब दीजिए

सभी पात्र हों प्रसन्न वह किताब दीजिए


पढ़ना है मेरी आदत हर व्यक्तित्व है पुस्तक

जब से रहा पढ़ आपको हर शब्द है दस्तक

लिखते रहिए करते मोहित विवाद दीजिए

सभी पात्र हों प्रसन्न वह किताब दीजिए।


धीरेन्द्र सिंह

14.06.2025

06.26




गुरुवार, 12 जून 2025

बोइंग अहमदाबाद

 सब चैनल की एक ही बातें

बोलें बाद में पहले तो जांचे


अहमदाबाद ड्रीमलाइनर हादसा

अग्निपाश 242 आत्मा आसका

दुर्घटना या षड्यंत्र मन नाचे

बोलें बाद में पहले तो जांचे


संयत सुलझा संशोधित समाचार

एक जीवित यात्री मिला चमत्कार

कुछ यात्री और हों जीवित मांगे

बोलें बाद में पहले तो जांचे


इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण कर है हमला

एक भाव कहे लोग बोलें पगला

बोल ऐसा भय यूं न टांगे

बोलें बाद में पहले तो जांचे


मेरी भी संग करोड़ श्रद्धांजलि

यात्री परिजन संग हों बजरंगबली

उड़ा जहाज कैसे मौत नाचे

बोलें बाद में पहले जांचे।

🙏🏻

धीरेन्द्र सिंह

12.06.2025

18.57



बुधवार, 11 जून 2025

शब्द कर्म

 चेतना को चुगने का प्रयास हो रहा

जो भी हो रहा है सायास हो रहा

उन्नत हैं बीज खेत लहलहा उठेंगे

खेतों में बीज न अनायास बो रहा


स्व विवेक मरेगा तो मरजायेगा स्वधर्म

वह मारने पर तुला है प्रकाश मिलेगा

तन मार गया तो मिलते हैं तन सगर्व

स्व आधार मारता है हताश मिलेगा


अब कर्म में बातों को ढालने लगे हैं

कर्मठता से ही अपना आकाश मिलेगा

सुंदर सुघड़ शब्द से बातें तो हैं आसान

जब धुनेगा रुई, कोमल एहसास मिलेगा


अस्तित्व के लिए सौम्य व्यक्तिव क्यों

शौर्य हो तो व्यक्तित्व उल्लास खिलेगा

कर्मों में शब्द ढलने से मिलता निदान

गुमान विगत का रहा तलाश मिलेगा।


धीरेन्द्र सिंह

12.06.2025

05.54

मंगलवार, 10 जून 2025

आंतरिक ऊर्जा का उन्नयन धार है

प्रचंड वेगवाहक होता जब प्यार है


धरा से व्योम तक भावना का अर्चन

प्यार की छवि दिखे वायु बने दर्पण

ऐसे योगियों समक्ष खुले सब द्वार हैं

प्रचंड वेगवाहक होता जब प्यार है


सामाजिक बंधन कहे प्यार है चंदन

सामाजिक समर्थन प्यार वही वंदन

वैवाहिक रीतियों में नियम गुबार है

प्रचंड वेगवाहक होता जब प्यार है


धर्म कभी कर्म कभी सामाजिकता

प्यार नियमबद्ध करे क्या आतुरता

बिरादरी से बाहर ब्याह नहीं शुमार है

प्रचंड वेगवाहक होया जब प्यार है


प्यार नहीं रुकता प्रेमी प्रतिदिन आदि

नित्य मिलान नित्य चर्चा पल-पल संवादी

दूसरे से ब्याह नहीं देता प्यार झंकार है

प्रचंड वेगवाहक होता जब प्यार है।


धीरेन्द्र सिंह

11.06.2025

05.46


रविवार, 8 जून 2025

नीना गुप्ता

 नीना गुप्ता

बीते

66वें जन्मदिवस की

हार्दिक शुभकामनाएं,

पूर्ण अपरिचित हैं

एक-दूसरे के लिए

बस इतना जाना

मीडिया ने जो बताया,


आजकल भी 

मीडिया बता रही है

आपके 66वें जन्मदिन का

केक काटता फोटो

कुछ लोग कहें हो, हो,


सोशल मीडिया

एक वैचारिक प्रवाह है

जहां स्वतंत्र है अभिव्यक्ति

करे कोई भी व्यक्ति

चीखता, चिल्लाता

विचार अपने सत्य बतलाता

निरंतर कहते जाता

जैसे सरिता प्रवाह में

खर-पतवार है बहते जाता,

वैचारिक और सामाजिक प्रवाह

धारित किए आप

चल रही हैं कलकल

एक सरिता की तरह, जिसमें

कतिपय मृत विचार और तर्क

बह रहे पकड़ आपका संग,


आप यूं ही 

प्रवाहित होते रहिए

इतिहास आपके सम्मान में

अपने रिक्त रखे पृष्ठों में 

आपकी जिंदगी समेटने को

सक्रिय है

क्योंकि

अपनी शर्तों पर

एक पूरा जीवन जी पाना

मात्र साहस नहीं बल्कि

एक विलक्षण दृष्टिकोण है।


धीरेन्द्र सिंह

08.06.2025

19.54