रविवार, 21 जुलाई 2024

सावन की बरसात-दृश्य, अनुभूति

बरसात नहीं हो रही थी

बदलियों बेचैन थीं

हवा मद्धम थी

छाता लेकर निकल पड़ा

दैनिक चहलकदमी,

सावन का पहला दिन

बूंदें थीं गिन-गिन,


बदलियों सोच रही थीं

कभी बूंदे, कभी बंद

नहीं किया छाता बंद,

सड़क सूनी जैसे

आगमन राजनीतिक महंत,

शंकर का मंदिर

जोरदार था प्रबंध,


मैंग्रोव की लंबी हरीतिमा

और सागर

लौट पड़ा शिवकृपा ले,

बदलियां फूट पड़ीं

मानो प्रतीक्षा थी मंदिर तक,


सड़क चौड़ी अच्छी हो तो

बूंदें टकराकर सितारा बन जाती हैं,

दूर तक लगा सड़क पर

उतर आए हैं तारे,

सागर की हवा छाते को

चाह रही थीं करना उल्टा, 

एक जगह लगा 

उड़ा ले जाना चाहे हवा मुझे,

कमर तक भींग चुका था

बौछारें उन्मत्त थीं,


छाता और गिरती बूंदें

कर रही थीं निर्मित संगीत,

हवा का नर्तन था,

सावन का पहला सोमवार

सुमधुर कीर्तन था,


हवा ने बूंदों को शक्ति दी

लगा गए पूरा भींग,

मोबाइल को छाते के 

ऊपरी बटन तक पहुंचाते बचाते,

कोई ना था आते-जाते,

कभी कोई वाहन गुजर जाता,

गुजर रही थीं निरंतर पर

सड़क पर पानी की जलधाराएं

कहीं साफ तो मटमैली,


छाते को नीचे कर 

चिपका लिया सर से,

पहली बार अनुभव हुआ

बूंदों का मसाज,

नन्हीं-नन्हीं अंगुलियां असंख्य

कर रही थीं जागृत

अंतर्चेतना।


धीरेन्द्र सिंह

22.07.2024

08.39



शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

तेजस्विता

कौन देखता है नारी की ओजस्विता

गृहस्थी में भरती निरंतर तेजस्विता

 

चहारदीवारी में कर अभिनव चित्रकारी

घर निर्मित करती सदस्य हितकारी

अपने संग घर की संभाले अस्मिता

गृहस्थी में भरती निरंतर तेजस्विता

 

माना नर-नारी से निर्मित विद्यमान

पुरुष तपती धूप नारी तो है बिहान

झंझावातों में धारित लगे सुष्मिता

गृहस्थी में भरती निरंतर तेजस्विता

 

गृहस्थी दायित्व चुनौतियों का आसमान

नारी श्रृंगार घर छवि रचयिता अभिमान

थक कर समस्या उलझ अकेली जीवटता

गृहस्थी में भरती निरंतर तेजस्विता।

 

धीरेन्द्र सिंह

20.07.2024

11.18



पूछे दिल

आपकी अदा सदा रहती बुदबुदा

अक्सर पूछे दिल फिर से बता


एक संगीत धुन सी लगें गुंजित

ध्यान हो धन्य अदा में समाहित

जैसे भित्ती चढ़ती बलखाती लता

अक्सर पूछे दिल फिर से बता


झूम कर जो चलें प्रकृति झूम जाए

आपकी दिव्यता से भव्यता मुस्काए

मुग्ध तंद्रा में दिल अंतरा दे सजा

अक्सर पूछे दिल फिर से बता


यह पूछना प्रश्न नहीं ललक संवाद

दिल में क्यों होता अदाओं का निनाद

क्या प्रणय अव्यक्त की यही सजा

अक्सर पूछे दिल फिर से बता।


धीरेन्द्र सिंह

20.07.2024

09.30




देशभक्ति

 राष्ट्रप्रेम व्यक्तित्व शौर्य जतलाएं

सीमाओं को सुरक्षित करते जाएं

एक युवक नहीं पूरा परिवार है

योद्धा सभी क्षत्रीय धर्म ही निभाएं


एक युवती फौजी की बन पत्नी

समय अधिक प्रतीक्षा में बिताए

कब मिलेगी छुट्टी सजन को

खुशियां लुटाते द्वार को जगमगाएं


आती जब वीरगति प्राप्त सूचना

हिय प्रिय से मिलन को फड़फड़ाए

सिंदूर सुहाग ठगा सा है कंपकंपाता

तिरंगे में लिपटी देशभक्ति गुण गाए।


धीरेन्द्र सिंह

20.07.2024

07.14



गुरुवार, 18 जुलाई 2024

सुई और कालीन

 सूई से 

कालीन के मैले तागे

उकेरे जाते हैं तो

जुलाहा बोल पड़ता है

बिगड़ रहा है संतुलन

सूई का 

कैसा यह चलन,


चुप हैं सब

भदोही उद्यमी,

जुलाहा बुनकर कुशल

भूलकर अपना कौशल

धकेलने को प्रयासरत,

सूई प्रतिबद्ध है

उद्यमी व्यवसाय लगन,


कालीन सदियों से है

रहते थे दीवार भीतर

अब तो

कालीन सड़क पर है

धूल-धक्कड़ से जाए छुई

यही कहे सुई,


विरोध परिवर्तन करे

बाधा भी यही रचे,

कालीन पुकार रहे

जुलाहे आ सजें,

सुई भी बोलती

चल नायाब कालीन गढ़ें।


धीरेन्द्र सिंह

18.07.2024

16.53



बुधवार, 17 जुलाई 2024

कैसा विचार

 टहनी पर पैर जड़ पर प्रहार

पकड़ बनाए कैसा यह विचार

 

लकड़हारा है या जंगल लुटेरा

मतिमारा है या अकल जूझेरा

और कब तक है यह स्वीकार

पकड़ बनाए कैसा यह विचार

 

जंगल उन्मुक्त विचरण आदी

मंगल करते प्रहारी यह उन्मादी

उसकी कुल्हाड़ी इसकी कलमधार

पकड़ बनाए कैसा यह विचार

 

इधर काटे उधर छांटे अनवरत

लेखनी से वेदना करें समरथ

जंगल बचाइए अस्तित्व आधार

पकड़ बनाए कैसा यह विचार।

 

धीरेन्द्र सिंह

17.07.2024

22.00



सोमवार, 15 जुलाई 2024

फोन

 “प्लीज बी इन टच” फोन करते रहिएगा

ऐसा कोई बोले फोन कभी ना करिएगा


अपने पद की गरिमा के हैं सुप्त अरुणिमा

सेवानिवृत्ति के बाद भी चाहें वही महिमा

फोन कीजिएगा क्यों महिमामंडन भरिएगा

ऐसा कोई बोले फोन कभी ना करिएगा


पद पर बैठा बोले तो वह सबको तौले

और अस्पष्ट निवेदन कि गरिमा ना डोले

चापलूसी लगे ऐसा कह क्यों उभरिएगा

ऐसा कोई बोले फोन कभी न करिएगा


इसमें अपवाद मात्र अवस्था बीमारी है

निज चिकित्सक ही दवा-दारू खुमारी है

कोई कहे फोन करें तो खूब महकिएगा

ऐसा कोई बोले फोन कभी न करिएगा।


धीरेन्द्र सिंह

16.07.2024

10.35