बुधवार, 6 दिसंबर 2023

चेतना

 चेतना में जड़ता या जड़ता में चेतना

दृष्टि का कार्य यही इनको है भेदना


विश्व में निर्माण या निर्माण से निर्वाण

ज्ञानियों की बातों में दिखते कई प्रमाण

विश्लेषण महज प्रक्रिया या मुग्ध देखना

दृष्टि का कार्य यही इसको है भेदना


चेतना का प्रथम चरण होते सहज वरण

वेदना के प्रकरण उसका न होता क्षरण

सत्य को बूझे बिना तथ्य का क्यों रेंकना

दृष्टि का कार्य यही इसको है भेदना


प्यार प्रखर प्रदीप्त जग में संलग्न तृप्ति

फिर भी मन दौड़ता देख एक नई आसक्ति

आत्मा शून्य में मन करता रहे अवहेलना

दृष्टि का कार्य यही इसको है भेदना।


धीरेन्द्र सिंह

07.12 2023

09.51


मंगलवार, 5 दिसंबर 2023

समय

 

बहुत जी लिए ऐसे जीवन को कसके

समय जा रहा छूकर यूं हंसते-हंसते

 

कभी दिल न सोचा सौगात क्या है

हसरती दुनियादारी की औकात क्या है

कहां पर हैं पहुंचे यूं सरकते-सरकते

समय जा रहा छूकर यूं हंसते-हंसते

 

प्रणय पाठ का वह जीवन भी अलग था

समय ज्ञात था पर करम ही विलग था

समर्पण रंग रहा नए स्वांग भरते-भरते

समय जा रहा छूकर यूं हंसते-हंसते

 

जो साथ वह तो हैं भी कितने साथ

पास जो राह रहे हैं भी कितने पास

बीच अपनों में खुद को तलाशते बचते-बचते

समय जा रहा छूकर यूं हंसते-हंसते।

 

धीरेन्द्र सिंह

05.12.2023

15.30

शुक्रवार, 1 दिसंबर 2023

छुवन

 

तुम्हें अपनी बातें कहने लगे तो

तुमको लगे, मशवरा हो गया

 

अपने कथन में वचन सब समेटे

पुतला खड़ा, दशहरा हो गया

 

जहां से बही थी नदिया वो निर्झर

मंदिर बना फरफरा हो गया

 

जहां हमकदम संग झूमा गगन था

वहां धरती मिल मक़बरा हो गया

 

बहती हवा संग मिलो तुम कभी तो

खुश्बू बिखर, नभभरा हो गया

 

गया क्या अक्सर कहता है जीवन

छुवन एक थी, दर्दभरा हो गया।

 


धीरेन्द्र सिंह

02.12.2023

09.58

किसान

 प्रस्ताव सविनय निवेदित

आगत तो होता अतिथि


कौन कलेवा आज बंधा

कौन हल से है नधा

कौन धूप से व्यथित

आगत तो होता अतिथि


संग कलेवा आया संदेसा

मचान को धूप ने सेंका

रजाई तकिया संबंधित

आगत तो होता अतिथि


पम्पिंग सेट की जलधार

रहँट कुएं से गयी उतार

दुआर रहा न आनंदित

आगत तो होता अतिथि


बहुत कठिन है किसानी

श्रम के बूंदों की कहानी

फसल चाह किसान क्रन्दित

आगत तो होता अतिथि।


धीरेन्द्र सिंह


01.12.2023

15.32

गुरुवार, 30 नवंबर 2023

तूफान है आनेवाला

 मन उमस सा भाव सहज चितवाला

अभिव्यक्तियां ठहरी तूफान है आनेवाला


सबसे कटकर रहना और बात न करना

एक अजीब खामोशी का रहता धरना

विषय अधूरे सब मन ना लिखनेवाला

अभिव्यक्तियां ठहरी तूफान है आनेवाला


वैचारिक आच्छादित बदलियां क्रमशः

प्रतिदिन लेखन गति कहे मत बह

कल्पनाशीलता को कौन है जडनेवाला

अभिव्यक्तियां ठहरी तूफान है आनेवाला


सम्प्रेषण संवाद सहित कभी वाद-विवाद

इस समूह से उस समूह तक परिवारवाद

रचनात्मकता पर अपने फोटो की क्रममाला

अभिव्यक्तियां ठहरी तूफान है आनेवाला


हर घटना का मिलता पहले से संकेत

शान्ति अजीब में उड़ता सुगंध अतिरेक

मन उत्सुक क्या कुछ उड़ है आनेवाला

अभिव्यक्तियां ठहरी तूफान है आनेवाला।


धीरेन्द्र सिंह

30.11.2023

19.58


बुधवार, 29 नवंबर 2023

प्लास्टिक फुलवारी

 हृदय स्पंदनों की पर्देदारी

यही सभ्यता यही होशियारी


कामनाओं के प्रस्फुटन निरंतर

अभिव्यक्तियों के सब सिकंदर

गुप्तता में सकल कर्मकारी

यही सभ्यता यही होशियारी


प्रतीकों में हो रही बातें

इ मिलाप के दिन रातें

संबंधों में इमोजी लयकारी

यही सभ्यता यही होशियारी


मौलिकता की खुलेआम चोरी

सात्विकता की दिखावटी तिजोरी

मानवता की विचित्र चित्रकारी

यही सभ्यता यही होशियारी


सबके समूह सबके घाट

सब अलमस्त दिखाए ठाठ

आधुनिकता बनी प्लास्टिक फुलवारी

यही सभ्यता यही होशियारी।


धीरेन्द्र सिंह

29.11.2023

19.03

सोमवार, 27 नवंबर 2023

चुक गए संवाद

 शब्द कितने चुक गए संवाद

फिर भी कथनी नहीं आबाद


प्यार कितने रूप में हैं बिखरे

और कितने भाव के जज्बात


शब्द भाव लगे रेत धूरी

भाव निभाव की हरकत अधूरी

कल्पनाओं की सजे नित बारात

अनुभूगियों के भी घात-प्रतिघात


भंवर सा घूमता भाव प्यार

संवर कर ढूंढता चाव धार

सीढ़ियों पर दिखता हर नात

प्यार ऊंचा हो कबकी बात


लिख रहे कुछ, जिएं प्यार

पढ़ रहे, समझ की झंकार

शब्द चुका या चुका संवाद

कथनी संग मथनी नित मुलाकात।


धीरेन्द्र सिंह

27.11.2023

21.29