मन मसोसकर जीवन है विवशता
कहावत सही, मरता न क्या करता
आप बाग-बाग सी महक-महक गईं
अभिलाषाएं प्यार की मचल लुढ़क गई
अप्रतिम हो व्यक्तित्व मन है कहता
कहावत सही, मरता न क्या करता
आप आब-आब हैं शवाब ताब हैं
सगुन लक्षणी खिला माहताब हैं
मनभावनी हैं भाव झरते ही रहता
कहावत सही, मरता न क्या करता
आप लज्जा-लज्जा हैं प्यार का छज्जा
बच्चा सा दुबका प्यार अरमानी मस्सा
कदम बढ़ चला अब रुके नहीं रुकता
कहावत सही, मरता न क्या करता
आप गर्व-गर्व हैं संगत का पर्व है
मर्त्य हर प्रयास का भी उत्सर्ग हैं
जीवन प्यासा ले चाहत है सिहरता
कहावत सही, मरता न क्या करता।
धीरेन्द्र सिंह
19.05.2025
18.23