बुधवार, 12 अप्रैल 2023

कृष्ण हो जाना

 चाह की गगरी में इश्क का बुदबुदाना

आग दिल की और उनका उबल जाना


यह राह है जीवन की उमंगों की चहल

खयालों में लिपटकर आहिस्ता इतराना


पहली जल वलय है तरंगित परिष्कृत

उपकृत कर अजूबा कृत कर जाना


समन्वय के गणित रहे बनते बिगड़ते

फैसलों के हौसलों में ही सिमट जाना


कर ब्लॉक नई राह को लिए लपक

चाहत के मौसम का यूं बदल जाना


एक राह एक पनघट एक ही गगरिया

गोपियों के ही वश में कृष्ण हो जाना।


धीरेन्द्र सिंह

10.04.2023

03.44

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