शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2024

पहाड़ियों के ऊपर

 जीवन के झूमर, पहाड़ियों के ऊपर

छोटे-छोटे मकान, आसमां को छूकर


समतल न राहें, समतल नहीं जीवन

श्रम साधना पुकारे, दृगतल हरियाली छूकर

गहन शांति चहुंओर, अंग-अंग रच भोर

छोटे-छोटे मकान, आसमां को छूकर


हरे झुरमुटों में, उभरता कहीं समाज

सड़क पर कहीं अकेला, संभावना ऊपर

कर्म के अंजोर में भाग्य को बो कर

छोटे-छोटे मकान, आसमां को छूकर


पर्यटन में निहित है विकास संभानाएँ

होता है उदित सूरज यात्री मंत्र जपकर

अतिथियों का स्वागत मन मुदित होकर

छोटे-छोटे मकान, आसमां को छूकर।


धीरेन्द्र सिंह

18.10.2024

17.47, पंचगनी