एक बात कहूँ आप यूं ना सोचिए
हर बात अर्थपूर्ण कहां होती है
एक समीक्षक की तरह ना देखिए
हर नात गर्भपूर्ण कहां ज्योति है
समझौता ही एकमात्र है विकल्प
जिंदगी स्वप्न जैसी कहां होती है
शोधार्थी की तरह जारी रहे शोध
बंदगी, यत्न ऐसी जहां रीति है
टूटते तारे हों तो है चमकता रिश्ता
रोशनी खास अब यहां कहां होती है
अंधेरा भर रहा धुआं बन सीने में
सुलगन अब कहाँ आग लिए होती है
हर चेहरे पर संतुष्टि का है मेकअप
चेहरे पर खिली चांदनी कहां होती है
कहिए कि नकारात्मक सोच का लेखन
चहकना सीख ले जिंदगी वहीं होती है।
धीरेन्द्र सिंह
03.06.2025
09.12