वैवाहिक जीवन के अक्सर झगड़े
हाँथ उठाने से हो जाते क्या तगड़े
सुविधापूर्ण जगत में सारी सुविधाएं
धन एकत्र करने की होड़ और पाएं
प्रतियोगिता, दबाव और कई लफड़े
हाँथ उठाने से हो जाते क्या तगड़े
विवाह की भी बदल रही परिभाषा
परिणय प्रयोग की बनी कर्मशाला
पास-पड़ोस, रिश्तों में चाहे हों अगड़े
हाँथ उठाने से हो जाते क्या तगड़े
शून्य पर पहुंची लगे सहनशीलता
शुध्द व्यवहार गणित क्या मिलता
लड़खड़ा रहे अतृप्त संस्कार है पकड़े
हाँथ उठाने से हो जाते क्या तगड़े।
धीरेन्द्र सिंह
26.12.2024
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