गुरुवार, 10 अप्रैल 2025

यह कंस

 अनेक पत्र-पत्रिकाएं, समूह, मंच

सब के सब है हिंदी के सरपंच

इनके संचालनकर्ता क्या हिंदी कर्ता

हिंदी दिखावा हिंदी विभिन्न पंथ


कर्ता-धर्ता का अनभिज्ञ प्रयोजन

दिखावा ऐसा रचें नव हिंदी ग्रंथ

हिंदी शब्द का अकाल भाषा बेताल

प्रदर्शन प्रस्तुति जैसे अभिनव अनंत


कोई साहित्य सर्जक तो टाइमपास

रिपोर्टिंग ही करते बन साहित्यिक संत

कुछ तो बना बाजार लूट रहे हिंदी

प्रतीक, बिम्ब भूले हिंदी के यह कंस।


धीरेन्द्र सिंह

11.04.2025

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